पटना। बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। पटना हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका में आरोप लगाया गया है कि भर्ती प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं। विशेष रूप से, ऐसे उम्मीदवारों को भी चयनित सूची में शामिल कर लिया गया, जिन्होंने निगेटिव अंक प्राप्त किए।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
न्यायाधीश हरीश कुमार की एकलपीठ ने विजय कुमार और अन्य द्वारा दायर मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह ने दलील दी कि 16 जनवरी, 2020 को प्रकाशित चयन सूची में कई विसंगतियां पाई गई हैं। एक संशोधित सूची जारी होने के बावजूद भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई।

वहीं, राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता अजय कुमार और केंद्रीय चयन बोर्ड (कांस्टेबल भर्ती) के अधिवक्ता संजय पांडेय ने अदालत को बताया कि संशोधित सूची पूरी तरह से पटना हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में बनाई गई है।

बोर्ड के अधिवक्ता ने अपने जवाब में कहा कि कुल 1308 चयनित उम्मीदवारों में सामान्य श्रेणी के पुरुष उम्मीदवारों के लिए कट-आफ अंक 110 था, जबकि सामान्य श्रेणी की महिला उम्मीदवारों के लिए कट-आफ (-23) अंक रहा। उनके अनुसार, केवल महिला वर्ग में ही निगेटिव अंक वाले उम्मीदवारों का चयन हुआ, अन्य किसी भी श्रेणी में ऐसा नहीं हुआ। मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी। 

पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं का न्यायिक कार्य से अलग रहने का फैसला वापस 
पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं की समन्वय समिति की एक बैठक 24 फरवरी को आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य 21 फरवरी, 2025 को लिए गए पूर्व प्रस्ताव की समीक्षा करना था। बैठक में सर्वसम्मति से 21 फरवरी के प्रस्ताव को वापस लेने का निर्णय लिया गया, जिसके तहत 25 फरवरी को न्यायिक कार्यों से अलग रहने का फैसला किया गया था।

अब पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं से अनुरोध किया गया है कि वे 25 फरवरी को अपने नियमित न्यायिक कार्यों का निर्वहन करें। समन्वय समिति ने इस निर्णय की जानकारी रजिस्ट्रार जनरल को देने का निर्देश दिया है, ताकि सभी संबंधित पक्षों को अवगत कराया जा सके।