पटना। सर्वाइकल कैंसर से करीब 93 प्रतिशत सुरक्षा देने वाले एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) टीकाकरण अब तक व्यवस्थित रूप से शुरू नहीं हो सका है। जिले को दो से ढाई माह पूर्व 1260 वाइल की पहली खेप मिली थी, लेकिन अब तक पीएमसीएच, एनएमसीएच व गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में ही कुछ बच्चियों-किशोरियों को इसका लाभ मिल सका है।1200 डोज अब तक सिविल सर्जन कार्यालय स्थित भंडारगृह में रखी हुई हैं। सिविल सर्जन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व में स्कूलों से चिह्नित बच्चियों-किशोरियों के टीकाकरण के लिए पीएमसीएच व आइजीआइएमएस में टीकाकरण शुरू करने पर सहमति बनी थी। इन संस्थानों को हर दिन 20-20 वाइल मुहैया करानी थी और उसका पूरा ब्योरा देना था।
इसके बजाय कुछ संस्थान 200 से 300 वाइल एक साथ मुहैया कराने का दबाव बना रहे थे। पहली खेप में जिले को कुल 1260 डोज एचपीवी वैक्सीन मिलने व महंगी होने के कारण उचित निगरानी में परेशानी के कारण सिविल सर्जन कार्यालय इस पर तैयार नहीं हुआ।बताते चलें कि पहले चरण में स्कूलों में पढ़ने वालीं 9 से 15 वर्ष की बालिकाओं-किशोरियों का मुफ्त टीकाकरण किया जाना है। मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना के तहत पहले चरण में पटना, नालंदा, सिवान व मुजफ्फरपुर जिलों में मुफ्त एचपीवी टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है। इसके बाद दूसरे जिलों में शुरू किया जाना था।
पूर्व में योजना बनी थी कि पीएमसीएच का कोई स्वास्थ्य प्रबंधक या सिविल सर्जन कार्यालय का कोई व्यक्ति हर डोज सही बालिका को ही मिले, इसकी निगरानी करेगा। भंडारगृह में पहुंची वैक्सीन में अधिकतम मूल्य दो हजार रुपये लिखा हुआ है, इस कारण इसकी चोरी भी हो सकती है।स्वदेशी सेरवावैक ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) जो प्रदेश में दी जाएगी, उसे सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से विकसित किया है।यह वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर के कारक एचपीवी के चार प्रमुख स्ट्रेन 6, 11, 16 व 18 से सुरक्षा देता है। उम्र के आधार पर डाक्टरों के परामर्श अनुसार दो या तीन खुराक बाएं हाथ के ऊपरी हिस्से में मांस में दी जाती हैं।